आज तो बेसबब उदास है जी,
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी,
जलता फिरता हूँ क्यूँ दो-पहरों में,
जाने क्या चीज़ खो गई मेरी?
बुधवार, 24 जून 2009
जाने क्या चीज़ खो गई मेरी..?
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प्यास से जो खुद़ तड़प कर मर चुकी है वह नदी तो है मगर सूखी नदी है। तोड़कर फिर से समन्दर की हिदायत हर लहर तट की तरफ को चल पड़ी है।
आज तो बेसबब उदास है जी,
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी,
जलता फिरता हूँ क्यूँ दो-पहरों में,
जाने क्या चीज़ खो गई मेरी?